कुछ महीनो से बिहार एलेक्षन्स की बहुत ज़ोरो से तैयारी हो रहीं थी. मीडीया और पार्टीस दोनो मे उत्साह था. प्री और पोस्ट एलेक्षन पोल्स और ब्यान बाज़ी एट्सेटरा. सच कहु तो एलेक्षन्स के रिज़ल्ट भी ज़्यादा चौकाने वाले नही थे. इन सबके बीच एक ख्याल मन मे कौंधहा क्या बिहार की जनता मे भी नये सीयेम का उतना ही जोश था? एलेक्षन्स के दौरान एक दूसरे पर कीचड़ उछालना और मीडीया का उससे पिक्चर्स और कार्टून्स के साथ दिखना एक ट्रडीशन सा बन गया है. मेरा इरादा किसी पार्टी की आलोचना का करने का नहीं है लेकिन साधारण जनता की नज़र से देखे तो स्थिति कुछ अजीब ही होती है..एक समझदार वोटर की तरफ से बोलू तो सारी पार्टीस के पिछले कर्मो की तुलना करने पर अंत मे वोट उसी को जाता है जो ‘ना से कुछ ही भला’ की डेफ़ीटिओन मे फिट हो जाए.